आमतौर पर तो मिर्ची का नाम सुनते ही आंखों से आंसू और कान से धुंआ निकलने लगता है, मगर उज्जैन का एक शख्स ऐसा है जो 2-3 किलो मिर्ची रोज ऐसे खा जाता है मानो यह हलवा हो। नाम है प्यारे मोहन, जिसकी पहचान क्षेत्र में ‘मिर्ची मैन” के रूप में हो गई है।

उन्हेल टप्पा के पास करनावद गांव के रहने वाले प्यारेमोहन को 6 साल पहले मिर्ची खाने का शौक चला था। ये शौक इतना बढ़ा कि अब वे सिर्फ मिर्ची ही खाते हैं। मिर्ची चाहे लाल हो या हरी, पीसी हो या खड़ी।

हैरत की बात यह है कि मिर्च खाने के बाद घंटों उन्हें पानी, शकर की तलब भी नहीं लगती। तीखेपन का स्वाद मानो उनकी जुबां से चला ही गया हो। सामान्य कद-कांठी के दुबले-पतले प्यारेमोहन के इस अजीब शौक से उनकी मां और भाई चिंतित रहते हैं।

चिंता इस बात की कि मिर्च का कोई बुरा असर उनके शरीर पर न पड़ जाए। वे डॉक्टर को भी कई बार दिखा चुके हैं, मगर कोई फर्क नहीं पड़ा। प्यारेमोहन का कहना है उन्हें मिर्च का स्वाद तीखा नहीं लगता, बल्कि इसे खाने में मजा आता हैं।

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