तेलंगाना में बाल विवाहों को रोकने के लिए राज्य सरकार ने एक अनोखी पहल की है। बाल विवाह गैर-कानूनी होने के बावजूद आज भी हमारे देश में ये सामाजिक कुप्रथा पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। इसको खत्म करने के लिए प्रशासन ने तेलंगाना के पंडितों, विवाह का निमंत्रण पत्र छापने वालों, शादी-विवाह में सजावटवालों और टेंटवालों के साथ मिलकर अनोखी पहल की है।
अब किसी भी शादी से पहले पंडितों, विवाह का निमंत्रण पत्र छापने वालों, शादी-विवाह में सजावटवालों और टेंटवालों को वर-वधू का जन्म प्रमाण पत्र दिया जाएगा। साथ ही इन लोगों को वर-वधू के अभिभावकों को लिखित में देना होगा कि उनके बच्चे बालिग हैं।
बता दें, भारत में लड़की के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 साल और लड़के के लिए 21 साल है। प्रशासन ने पंडितों से कहा गया है कि वो विवाह से पहले वर-वधू का जन्म प्रमाणपत्र जरूर देखें। बाल विवाह रुकवाने के लिए अधिकारी गांव-गांव घूम कर ऐसे विवाह के बारे में पता कर रहे हैं।
थॉमसन रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार खुद सरकार के आंकड़े के हिसाब से 2015-16 में तेलंगाना में हुई शादियों में करीब 30 प्रतिशत वर-वधू नाबालिग थे। गर्मी को राज्य में शादियों का सीजन माना जाता है इसलिए अधिकारी अभी से इस बाबत जागरूकता फैलाने में लग गए हैं।
पश्चिमी तेलंगाना और हैदराबाद के विकाराबाद जिले के एक अधिकारी प्रेम कुमार ने रॉयटर्स को बताया है कि जिले के सभी पंडितों, शादी के कार्ड छापने वालों, फूलवालों, सजावट वालों और बारातघर के मालिकों को चेतावनी दी है कि नाबालिगों के विवाह में भागीदारी करने पर सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी।
अधिकारी ने एजेंसी को बताया मार्च से मई तक शादी की कई लगन हैं और इसलिए सीजन शुरू होने से पहले ही विवाह समारोह से जुड़े लोगों के साथ बैठक की गई। प्रशासन के आदेश के बाद शादी समारोह से जुड़े लोगों को वर-वधू के माता-पिता से दोनों के बालिग होने का हलफनामा भी लेना होगा। विवाह से जुड़े लोगों को वर-वधू के पहचान पत्र सरकार के पास जमा कराने होंगे।
बाल विवाह के दोषी पाए जाने पर बच्चों के अभिभावकों को एक लाख रुपये जुर्माना और दो साल तक की जेल हो सकती है। साल 2013 से 2015 के बीच सरकार ने बाल विवाह के 800 मामले दर्ज किए थे। एक स्थानीय पंडित ने एजेंसी को बताया कि वो शादी के लिए आने वाले वर-वधू से न केवल फॉर्म बनवा रहे हैं बल्कि उनके पहचान पत्र और तस्वीर भी जमा करा रहे हैं। पंडित ने दावा किया कि कुछेक मामलों में वर-वधू के नाबालिग होने पर कुछ शादियां रद्द भी हुई हैं।