इंसान की किस्मत कब खुल जाए इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। ऐसे बहुत से लोग हैं जिनके पास किसी दौर में खाने के लिए भी पैसे नहीं हुआ करते थे। लेकिन किस्मत ऐसी पलटी कि आज वे करोड़ों के मालिक बन कर बैठ गए हैं। भारतीय रेसलिंग का ऐसा नाम है जिसने अमेरिका के wwe में भारत का नाम रोशन किया है। आज उनकी शोहरत और दौलत बुलंदियों को छू रही हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कभी ऐसा भी वक़्त था जब खली हिमांचल में मजदूरी किया करते थे और उन्हें उसके लिए महज़ 5 रुपए ही मिलते थे। खली के उपर लिखी किताब ‘द मैन हू बिकेम खली’ में उनके जीवन के कई पहलुओं को छुआ गया है।
स्कूल के दिनों में खली के जीवन में एक दिन ऐसा आया कि जब फीस के लिए उनके परिवार के पास ढाई रुपये नहीं थे। खली ने अपनी किताब में कहा कि, ‘1979 में गर्मियों के मौसम में खली को स्कूल से निकाल दिया गया था, क्योंकि बारिश नहीं होने से फसल सूख गई थी और घरवालों के पास उनकी फीस भरने के पैसे नहीं थे।
स्कूल में शिक्षक ने जब खली को सारे बच्चों के सामने अपमानित किया तो खली को बेहद बुरा लगा। साथ ही उनके साथ पढ़ने वालों बच्चों ने भी उनका मजाक उड़ाया था, जिसके बाद खली ने स्कूल से अपना नाता तोड़ लिया और वापिस कभी स्कूल नहीं गए और मजदूरी में लग गए।
खली के घर में पैसों की कमी थी, इसलिए वो अपने पिता के कामों मे हाथ बंटाने लगे। जब वो 8 साल के थे तब वो अपने पिता के साथ गांव में दिहाड़ी मजदूरी करने लगे, उन्हें मजदूरी करने के लिए दिन के पांच रुपये मिलते थे, जो उनके लिए बहुत बड़ी रकम थी, क्योंकि उन्हें महज ढाई रुपये के लिए स्कूल से निकाला गया था।
खली पंजाब पुलिस में रहते हुए बॉडीबिल्डिंग करते थे, खली ने 1997 और 1998 में मिस्टर इंडिया भी रह चुके हैं। द ग्रेट खली की प्रतिभा से भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम बेहद प्रभावित हुए थे, कलाम ने 2005 में खली को राष्ट्रपति भवन बुलाकर उनसे मुलाकात भी की थी। खली ने अपनी मेहनत से आज वो मुकाम हासिल किया है जिसका सपना हर कोई देखता है। खली के पास अपना खुद का घर है, साथ ही फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार साल 2016 में उनकी कुल कमाई करीब 96 करोड़ रुपये थी।
आज खली को पूरी दुनिया जानती है। डब्ल्यूडब्ल्यूई (WWE) के रिंग में खली के जलवे थे। उन्होने वर्ल्ड हैवीवेट चैंपियनशिप का खिताब भी अपने नाम किया है। खली बिग बॉस में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवा चुके हैं। साथ ही उन्होंने अपने पैसों से अपने गांव में एक पहलवानी की संस्था खोली है।