केरल में रहने वाली करीब 75 वर्षीय दिलेर और जुझारू मीनाक्षी अम्मा आज भी मार्शल आर्ट कलारीपयट्ट का निरंतर अभ्यास करती हैं। उन्होंने कभी भी उम्र को कभी अपने उपर हावी नहीं होने दिया। वह कलारीपयट्ट में इतनी माहिर है ति अपने से आधी उम्र के मार्शल आर्ट योद्धाओं के छक्के छुड़ाने का दम रखती हैं। कलारीपयट्ट की प्रशिक्षक होने के नाते मीनाक्षी अम्मा मीनाक्षी गुरुक्कल (गुरु) के नाम से भी पहचानी जाती हैं।
सबसे पहले मीनाक्षी गुरुक्कल को उनके खास हुनर के लिए उस समय पहचान मिली, जब उनका सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वह कलारीपयट्ट के खेल में अपने से करीब आधी उम्र के एक पुरुष के साथ लोहा लेते और उस पर भारी पड़ते । उनके इस वीडियो ने कई लोगों को दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर कर दिया और इस वीडियो को ढेरों लाइक्स और कमेंट्स मिले थे।
बता दें, कलारीपयट्टकेरल का एक प्राचीन मार्शल आर्ट है, जो कि तलवारबाजी और लाठियों से खेला जाता है। मीनाक्षी अम्मा कहती हैं कि कलारीपयट्ट ने उनकी जिंदगी को हर प्रकार से प्रभावित किया है और अब जब वह करीब 75 साल की होने जा रही हैं, इस उम्र में भी वह इसका निरंतर अभ्यास करती हैं।
गुरुक्कल मीनाक्षी अम्मा कहती हैं, ‘आज जब लड़कियों के देर रात घर से बाहर निकलने को सुरक्षित नहीं समझा जाता और इस पर सौ सवाल खड़े किए जाते हैं, कलारीपयट्ट ने उनमें इतना आत्मविश्वास पैदा कर दिया है कि उन्हें देर रात भी घर से बाहर निकलने में किसी प्रकार की झिझक या डर महसूस नहीं होता।’
मीनाक्षी अम्मा मानती हैं कि आज के दौर में लड़कियों के लिए मार्शल आर्ट और भी ज्यादा जरूरी हो गया है. वह कहती हैं, ‘मार्शल आर्ट से लड़कियों में आत्मविश्वास पैदा होता है. हर सुबह इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने से केवल आत्मविश्वास और शारीरिक मजबूती ही नहीं, बल्कि रोजमर्रा की मुश्किलों से लड़ने के लिए मानसिक बल भी मिलता है।’
गुरुक्कल यानी गुरु के नाम से मशहूर मीनाक्षी अम्मा को इस साल प्रतिष्ठित नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया है।